Friday 25 January 2008

स्त्री सम्मान

आज भारत के बडे शहरों में महिलायें बहुत ज्यादा असुरक्षित हो गयीं हैं। साल के शुरू में मुम्बई के एक मशहूर होटल के बाहर दो महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार की घटना समाचार का विषय बनी। उसी समय कुछ नेताओं ने यह काम उत्तर भारत के पुरुषों के सिर मढ़ने की कोशिश की। जबकि उसी दिन पंजिम और कोची जैसे शहरों से भी उसी प्रकार की खबरें आयीं।

कुछ दिन पहले एक ही दिन के समाचार पत्र में मैंने ये दो घटनाएं पढ़ीं।
१. एक युवती ने एक युवक के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। युवक ने उस लड़की के साथ बद्ताम्जई करनी चाही तो लड़की के भाई और माँ ने युवक को कुछ कह दिया। युवक ने कुछ देर बाद उनके घर आ कर माँ और बेटे को गोली मार दी।
२ एक अमीर आदमी ने अपनी सोसायटी के सुरक्ष गार्ड से सांठ गाँठ कर ली। जब वह घर पर अकेला था तो उसने गार्ड को बुलाया और घर पर काम कर रही नौकरानी के साथ बलात्कार करने को कहा। इस व्यक्ति ने इस कुकृत्य को देखा और उके बाद उस महिला को डराया के यदि उसने इस घटना के बार में किसी से कुछ कहा तो उसे मरवा देगा।

यह वही देश है जिस में भगवान् के नारी स्वरुप को कितने ही देवियों के नाम दे कर पूजा जाता है, जहाँ एक महिला प्रधान मंत्री, महिला राष्ट्रपति और एक समय पर एक नहीं चार चार महिला मुख्य मंत्री पदाधीन हैं। भारत के इतिहास में महिलाओं के प्रति इतना जुल्म और जुर्म शायाद कभी नहीं हुआ है। तो क्या यह उन्नति की देना है, मैं नहीं मानता। उस तरह तो जर्मनी, अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में तो महिलाएं घर के बाहर भी नहीं निकल पातीं। यह है हमारी विकृत शिक्षा और मिथ्या मूल्यों का असर जिस में बचपन से ही पुत्र को पुत्री से ज्यादा महत्वपूर्ण बताया जाता है। यह कब तक चल सकता है और इसे ठीक करने के लिए हम और आप क्या कर सकते हैं। ज़रा सोचिये और जहाँ हो सकता है इसे ठीक करने में देश की मदद करिये, धन्यवाद

1 comment:

anuradha srivastav said...

वाकई ये शर्मनाक घटना है। लेकिन मात्र इन पर चर्चा करके क्या होगा? समस्या तो ज्यों कि त्यों बनी हुई है। जब तक कानून और प्रशासन चुस्त नहीं होगा तब तक हर रोज नये कांड होते रहेंगें।